38 ङुजे लौका नु ङिले करा तां तम्हानु वी ङिले जई। लौक पुरी नाप मंडती-मंडती ते हलाती-हलाती कर ते उभरता हुला तम्ची गोङी मां नाखे, कांकि जिसी नाप लारे तम्ही नापा, वेही नाप लारे तम्चे वास्ते वी नापले जई।”
जको कुई यां छोटा महु हेके नु माया चैला जाणती कर सेर्फ हेक मुंगर ठाडे पाणी पिलावे, मैं तम्हानु सच्च किहे पला, ओ किसी रीति लारे आपणा प्रतिफल नी गुंवी।”
कांकि जिंवे करती तम्ही दोष लावा, यूं करती तम्चे उपर वी दोष लाला जई, ते जिसी नाप लारे तम्ही ङुजा वास्ते नापा, वेही नाप लारे तम्चे वास्ते वी नापले जई।
बल्ति ओणे वानु केहले, “जको कोच्छ तम्ही सुणा ओचे उपर ध्यान लाती कर सोच-विचार करा, जिसी नाप लारे तम्ही ङुजा वास्ते नापा, वेही नाप लारे तम्चे वास्ते वी नापले जई, ते तम्हानु ज्यादा ङिले जई।
जको कुई दुधे कनु मांगे, ओनु ङे, ते जको दुधी चीज खोसती गिहे, ओकनु ना मांग।
कांकि जेह्णे दया कोनी करली, ओचा न्यां बेरहमी लारे हुवी। दया न्यां उपर जयवन्त हुवे।