कांकि जिसे बेले तम्हानु कुई दास बणाती गिहे, जा ते खाती जाये, जा फसाती गिहे, जा आपणे आप नु बङे बणावे, जा तम्चे मुँहा उपर थप्पड़ मारे, ते तम्ही सहन करती गिहा वी।
कांकि तम्ही कैदी विश्वासी भावां चे ङुखा मां वी ङुखी हुले, ते आपणी जायजात वी खुशी लारे लूटीजु ङिली, ईं जाणती कर, कि तम्चे गोढु हेक नेरी वी उत्तम ते सदा रुकणे आली जायजात छै।