39 कुई बन्दे पुराणा अंगूरा चा रस पीती कर नवां ना चाहवी, कांकि ओह किहे कि, ‘पुराणा ही आच्छा छै।’ ”
अगर कुई वी दुधे लारे जबरदस्ती करती कर चोला खोसणे चाहवे, ओनु चादर वी ङे जती।
पर नवां अंगूरा चा रस नवींया मशका मां भरना चाही छै।
बल्ति ईशु सब्त चे ङिओ खेता महु हुती कर जाये पलता, ते ओचे चैले सीटी तरोड़ती-तरोड़ती कर ते हाथा लारे मरोड़ती-मरोड़ती कर खाते जई पलते।
विश्वासा चे जरिये यां सब चे बारे मां आच्छी ग़वाही ङिली गेली, तां वी वानु वायदा करला आलीया चीजा कोनी मिड़लीया।