जक्कई ने प्रभु नु भिले रेहती कर केहले, “हे प्रभु, ङेख, मैं आपणी आधी जायजात कंगाला नु ङिये पला, ते अगर काये कोच्छ वी अन्याय करती कर गेहले तां ओनु मैं चार गुणा पुठा फेरती ङिही।”
ते सिपाहीया ने वी ओकनु ईं पूछले, “अम्ही का करु?” ओणे वानु केहले, “कि तम्ही काये उपर वी जुलम ना करा, ते ना काये उपर कूड़ा दोष लावा, ते आपणी तनखाई पर सब्र करजा।”
ये वजह कनु जबकि ग़वाहा ची इसड़ी बङी भीड़ अम्हानु घेरले आले छै, तां आवा, हर हेक रोकणे आली चीज ते उलझाणे आले पापा नु दूर करती कर, वा द्रोड़ जिसे मां अम्हानु द्रोड़ने छै, धीरज लारे उग़ते बधते जऊं,