ते वानु केहले, “जको कुई माये नांवा लारे ऐ ब़ाला नु स्वीकार करे, ओ मनु स्वीकार करे, ते जको कुई मनु स्वीकार करे, ओ माये भेज़णे आले नु स्वीकार करे, कांकि जको तम्चे महु सबकनु छोटे महु छोटे छै, ओही बङा छै।”
ते ऐ संसारा ची रीति उपर ना चला। पर तम्ची ब़ुध्दि चे नवें हुती जाणे लारे तम्चा चाल-चलन वी बदलता जाओ, जाये कनु तम्ही नरीकारा ची भली, ते भावणे आली, ते सेद्ध इच्छा लारे अनुभव लारे मालुम करते रिहा।
यूं करती हे जवान, तम्ही वी अग़ुवा चे अधीन रिहा, बल्कि तम्ही सब चे सब हेके ङुजे ची सेवा चे वास्ते नरमाई लारे कमर कसली रिहा, कांकि, “नरीकार घमण्डीया चा विरोध करे, पर दीन-दयाला उपर अनुग्रह करे।”