11 ते ओ घरा चे मालिका नु केहजा, ‘गुरु किहे पलता कि मेहमान खाने किठे छै जिठे मैं आपणे चैला लारे फसह चा भोज़ खई?’
अगर तम्हानु कुई कहीं किहे, तां केहजा, प्रभु नु ऐची जरुरत छै। तब ओ तुरन्त ओनु भेज़ती ङी।”
ते ओ जिसे घरा मां जाये, ओ घरा चे मालिका नु केहजा, ‘गुरु किहे पलता कि माये मेहमान खाने किठे छै जिठे मैं आपणे चैला लारे फसह चा भोज़ खई?’
ते अगर कुई तम्हा कनु पूछे, ‘कां खोला पले,’ तां केहजा, ‘प्रभु नु ऐची जरुरत छै।’ ”
वाणे केहले, “प्रभु नु ऐची जरुरत छै।”
जब ईशु ओही जग़हा पुज़ला, ते उपर नजर मारती ओनु केहले, “हे जक्कई, जल्दी तले उतरती आ, कांकि आज़ मनु दुधे घरा मां रेहणे जरुरी छै।”
ईशु ने वानु केहले, “ङेखा, शहरा मां घिरते ही हेक बन्दे पाणीया चा घड़ा चले हुले तम्हानु मिली, ते ओ जिसे घरा मां जाये तम्ही ओचे भांसु हुती पड़जा,
ओ तम्हानु हेक सजला सजाला बङा चौब़ारा ङिखाणती ङी, उठी तियारी करा।”
ईं केहती कर मार्था चाह्ली गेली, ते आपणी ब़ेहण मरियम नु हकारती लुकती कर केहले, “गुरु जी इठी छै, तनु हकारे पला।”
ङेख, मैं दरवाजे उपर भिले रेहती कर खड़कावे। अगर कुई माई अवाज सुणती कर दरवाजे खोले तां मैं ओचे गोढु भीतर आती कर ओचे लारे खाणे खई, ते ऊं माये लारे।