9 जब तम्ही लड़ाईया ते बलवा ची चर्चा सुणा तां घब़राती ना जजा, कांकि यांचे पेहले हुवणे जरुरी छै, पर ओ समय तुरन्त अन्त नी हुवी।”
तब ओणे वानु केहले, “जाति उपर जाति, ते राज़ उपर राज़ चढ़ाई करे,
जिसे बेले ये बाता हुं लाग़े, ते सिधे हुती कर आपणे ठोङ उपर चती कर ङेखजा, कांकि तम्चा छुटकारा गोढु हुवी।”
ओणे केहले, “चौकस रिहा, कुई तम्हानु भरमा ना सग़ो, कांकि ब़ोहत से माये नांवा लारे आती कर किहे, ‘मैं ओही छै,’ ते ईं वी कि, ‘समय गोढु आती पुज़ला!’ तम्ही वांचे भांसु ना चाह्ले जजा।