30 “सामणे चे गांवा मां जावा, ते ओचे मां पुज़ते ही हेक गाहड़ी चे ब़च्चे जाये उपर कङी कुई सवार कोनी हुले, ब़झले आले तम्हानु मिली, ओनु खोलती कर गेहती आवा।
“सामणे चे गांवा मां जावा। ओठे पुज़ते ही हेक गाहड़ो ब़झली आली, ते विचे लारे ब़च्चे तम्हानु मिली। ओनु खोलती कर माये गोढु गेहती आवा।
जिसे बेले ओ जैतून नांवा चे पहाड़ा उपर बैतफगे ते बैतनिय्याह चे लारे पुज़ला, तां ओणे आपणे चैला महु ङुंहु नु ईं केहती कर भेज़ले,
ते अगर कुई तम्हा कनु पूछे, ‘कां खोला पले,’ तां केहजा, ‘प्रभु नु ऐची जरुरत छै।’ ”
जको भेज़ले गेले हुते, वाणे जती कर जिसड़े ओणे वानु केहले हुते, उसड़े ही लाभले,
मैं हमा ऐचे हुवणे कनु पेहले तम्हानु केहती ङिले, कि जिसे बेले ऊं हुती जाये तम्ही विश्वास करा।