5 तां वी हा बांढी असतरी मनु सताती रिहे, ऐवास्ते मैं विचा न्यां चुकावी, कङी इसड़े ना हो कि घड़ी घड़ी आती कर अन्त मां माये नाका मां दम करे।’ ”
पर ईशु ने विनु कहीं वी उत्तर कोनी ङिला। बल्ति ओचे चैला ने आती कर ओकनु बिनती करली, “विनु विदा कर, कांकि वा आपणे भांसु रौल मचाती आवे पली।”
मैं तम्हानु किहे पला कि अगर ओचा मित्र हुती कर वी ओनु रोटीया ना ङी, तां वी ओची ब़ोहत बिनती करने पर ओ उठती कर, जितनी ओनु जरुरत छै ओनु ङिती ङिही।
ते ओही शहरा मां हेक बांढी असतरी वी रेहती, जको ओचे गोढु आती कर केहती रेहती, ‘माये दुश्मना लारे माया सही न्यां करती ङे।’
वे जको आग़ु-आग़ु जई पलते, वे ओनु दड़काऊं लाग़ले कि चोप रिहो, पर ओ होर वी साङ मारु लाग़ला, “हे दाऊद ची ऊलाद्ध, माये उपर दया कर।”
मैं आपणे शरीरा नु कष्ट ङिते हुले आपणे बसा मां राखे, इसड़े ना हो कि ङुजा नु तां उपदेश ङिये ते मैं खौद्द निक्कमा ठहरे।