4 ओ कई बेले तक तां ना मनला पर अन्त मां विचार करती कर केहले, ‘मैं ना नरीकारा कनु ङरे, ते ना बन्दा ची कहीं परवाह करे।
तब ओ आपणे मना मां विचार करु लाग़ला, ‘मैं का करे? कांकि माई इठे जग़हा कोनी जिठे आपणी पैदावार नेरी मेहले।’
बल्ति मुनीम सोचु लाग़ला, ‘हमा मैं का करे? कांकि माया मालिक हमा मुनीमगिरी चे काम माये कनु खोसे पला। माटी तां माये कनु पटीजी ना, ते भीख मांगणे मां मनु शर्म आवे।
“कुई शहरा मां हेक न्यांयी रेहता, जको ना नरीकारा कनु ङरता, ते ना कुई बन्दे ची परवाह करता।
ते ओही शहरा मां हेक बांढी असतरी वी रेहती, जको ओचे गोढु आती कर केहती रेहती, ‘माये दुश्मना लारे माया सही न्यां करती ङे।’
तब अंगूरा ची बाड़ी चे मालका ने केहले, ‘मैं का करे? मैं आपणे प्यारे पूता नु भेज़े, हो सग़े वे ओचा कद्दर करे।’
बल्ति जब अम्चे शरीरिक ब़ा वी अम्हानु अनुशासित करे जाया अम्ही आदर करु, पर का ईं ज्यादा सही कोनी कि अम्ही आत्मा चे ब़ा चे अधीन रेहती कर जीते रिहुं?