3 ते ओही शहरा मां हेक बांढी असतरी वी रेहती, जको ओचे गोढु आती कर केहती रेहती, ‘माये दुश्मना लारे माया सही न्यां करती ङे।’
“जब तक तु आपणे मुद्दई चे लारे मार्ग़ा मां ही छी, ओचे लारे झटपट मेल-मिलाप करती गे कङी इसड़े ना हो कि मुद्दई तनु न्यांयी नु सोंपे, ते न्यांयी तनु सिपाहीया चे हाथ सोंपती ङिये, ते तु कैदखाने मां नाखती ङिला जई।
“कुई शहरा मां हेक न्यांयी रेहता, जको ना नरीकारा कनु ङरता, ते ना कुई बन्दे ची परवाह करता।
ओ कई बेले तक तां ना मनला पर अन्त मां विचार करती कर केहले, ‘मैं ना नरीकारा कनु ङरे, ते ना बन्दा ची कहीं परवाह करे।
तां वी हा बांढी असतरी मनु सताती रिहे, ऐवास्ते मैं विचा न्यां चुकावी, कङी इसड़े ना हो कि घड़ी घड़ी आती कर अन्त मां माये नाका मां दम करे।’ ”