20 तु आज्ञा नु तां जाणी, ‘व्यभिचार नी करना, हत्या नी करनी, चोरी नी करनी, ते कूड़ी ग़वाही नी ङेणी, आपणे ब़ा ते आपणी आई चा कद्दर करना।’ ”
ईशु ने ओनु केहले, “तु मनु उत्तम कां किही? कुई उत्तम कोनी, सेर्फ हेक, यानि नरीकार।
ओणे केहले, “यां सब नु मैं बचपन कनु मनता आला।”
मैं ईं ऐवास्ते किहे पला कि, “व्यभिचार ना करजा, हत्या ना करजा, चोरी ना करजा, लालच ना करजा,” ते याहनु छोड़ती कर नेरी कुई वी आज्ञा हो तां सारा चा निचोड़ ये बाते मां लाभला जाये कि, “आपणे पड़ोसीया लारे आपणे जिसड़ा प्रेम राख।”
व्यवस्था चे कामा लारे कुई वी इन्सान नरीकारा चे सामणे धर्मी ना ठहरी, कांकि सेर्फ व्यवस्था चे जरिये पापा ची पिछाण हुवे।
“आपणे आई-ब़ा चा कद्दर करा,” हा हेक इसड़ी पेहली आज्ञा छै, ऐचे लारे हेक वाचा वी जुड़ली आली छै,
हे ब़ाले, सारीया बाता मां आपणे-आपणे आई-ब़ा चे आज्ञाकारी बणा। कांकि प्रभु ऐचे कनु खौश हुवे।