32 पर हमा खुशीया मना ते मगन हो कांकि दुधा भऊ मरती गेलता बल्ति जीता हुती गेला, गार हुती गेलता हमा लाभती गेला।’ ”
कांकि मैं इन्साना चा पूत गार हुला आला नु बचाऊं आला।
कांकि माया हा पूत मरती गेलता, हमा जीता हुती गेला, गार हुती गेलता ओ लाभती गेला।’ ते बल्ति वे खुशीया मनाऊं लाग़ले।
“ब़ा ने ओनु केहले, ‘पूत, तु सदा माये लारे छी, ते जको कोच्छ माये छै, ऊं सब कोच्छ दुधे ही छै।
मैं इन्साना चा पूत खाता-पीता आला, ते तम्ही किहा, ‘ङेखा, पेटु ते पियक्कड़ बन्दे, चुंगी गेहणे आला चा ते पापीया चा मित्र छै।’
कांकि वांचे नकारले जाणे संसारा चे मिलाप ची वजह हुली, ते का वांचे ग्रहण करले जाणे मरला आला महु जीते हुवणे चे बराबर नी हुवी?
अम्ही जाणु कि व्यवस्था जको कोच्छ किहे, वा वानु ही किहे जको व्यवस्था चे अधीन छी। ताकि हर-हेक चे मुँह बन्द करले जाओ, ते सारा संसार नरीकारा चे ङण्ड चे लायक ठहरो।
बल्कि नरीकार सच्चा छै ते हर-हेक बन्दे कूड़े छै, जिसड़े कि पवित्रशास्त्रा मां लिखले पले कि, “जाये कनु तु आपणीया बाता मां धर्मी ठहरी, ते न्यां बेले तु जय पावे।”