“मैं तम्हानु किहे पला कि यूंही करती कर हेक मन फिरावणे आले पापीया चे बारे मां वी स्वर्ग़ा मां इतनी ही खुशी हुवी, जितना कि वां निन्याणवे इसड़े धर्मीया चे बारे मां नी हुवी, जानु मन फिरावणे ची जरुरत कोनी।
“जाये कान हो वे सुणती गिहो कि आत्मा कलीसिया नु का किहे पला। “जको जीतती जई, ओनु मैं लुकले आले मन्ने महु ङी, ते ओनु हेक चिट्टा पत्थर वी ङी, ते ओ पत्थरा उपर हेक नां लिखले आले हुवी, जानु ओचे गेहणे आले चे सिवाय नेरे कुई नी जाणी।