कांकि तम्हानु गुलामी ची आत्मा कोनी मिड़ली, कि बल्ति ङरती जाओ पर नरीकारा ची ऊलाद्ध बणने वास्ते आत्मा मिड़ली, जाये कनु अम्ही, “हे पिताजी, हे ब़ा,” केहती कर हकारु।
“जाये कान हो वे सुणती गिहो कि आत्मा कलीसिया नु का किहे पला। “जको जीतती जई, ओनु मैं लुकले आले मन्ने महु ङी, ते ओनु हेक चिट्टा पत्थर वी ङी, ते ओ पत्थरा उपर हेक नां लिखले आले हुवी, जानु ओचे गेहणे आले चे सिवाय नेरे कुई नी जाणी।
ऐवास्ते मैं तनु सलाह ङिये, कि जाखते मां तपले आले सोने माये कनु मोल गेहती गे कि तु धन्नी हुती जा। ते चिट्टी ओढ़णी गेहती गे कि तु घालती कर तनु आपणे उघाणेपन ची लाज़ ना आओ। ते आपणीया आँखीया मां लावणे वास्ते सुरमा गेहती गे, कि तु ङेखु लाग़ी।
वांचे महु हर-हेक नु चिट्टी ओढ़णी ङिली गेली, ते वानु केहले गेले कि, “नेरा थोड़ी देर तक आराम करा, जब तक कि तम्चे लारे चे दास ते भऊ जको तम्चे आलीकर मरीजणे आले छी, वांची वी गिणती पुरी ना हुती गिहो।”
ऐचे बाद मैं नजर करली, ते ङेखा, हर हेक जाति, ते कोल्ल, ते लौक ते भाषा महु हेक इसड़ी बङी भीड़, जानु कुई गेण ना सग़ते। चिट्टी ओढ़णी घाली आले ते आपणे हाथा मां खज्जी चा लड़ीया चले हुले सिंहासना चे सामणे ते मैमणे चे सामणे भिली।