49 “मैं धरती उपर जाखते लाऊं आला, ते का चाहवें यानि ईं कि हमा बखती जईया।
पर जको ना जाणती कर मार खाणे चे लायक काम करे, ओह थोड़ी मार खई। ऐवास्ते जानु घणे ङिले गेले, ओकनु घणे मांगले जई, ते जानु ब़ोहत घणे सोंपले गेले, ओकनु ब़ोहत घणे गेहले जई।
मनु तां हेक सख्त बपतिस्मे कनु हुती कर गुजरने छै, ते जब तक ऊं ना हुती जाओ तब तक मैं किसड़ी परेशानी मां रिही।
जेह्णे मनु भेज़ले अम्हानु ओचे काम ङिओ रेहते ही करने जरुरी छै, वा रात आणे आली छै, जाये मां कुई काम ना कर सग़ी।