40 मार्था सेवा करती करती घब़राती गेली, ते ओचे गोढु आती कर किहुं लाग़ली, “हे प्रभु, का तनु कुई वी फिक्र कोनी कि माई ब़ेहणी ने मनु सेवा करने वास्ते हेकले ही छोड़ती ङिले? ऐवास्ते विनु केह कि माई मदत करो।”
पर ओणे वानु दड़काले ते केहले, “तम्ही ना जाणा कि तम्ही किसड़ी आत्मा चे छिवा। कांकि इन्साना चा पूत लौका ची जान नाश करने वास्ते कोनी आला, बल्कि बचावणे वास्ते आला।”
ओ खाणे वास्ते मेहनत ना करा जको सड़ती जाये, बल्कि ओ खाणे वास्ते जत्तन करा जको सदा वास्ते बणला रिही ते अनन्त जीवन ङिही, ते जानु मैं इन्सान चा पूत ङिही। कांकि ब़ा नरीकारा ने आपणी छाप माये उपर लाली।”