मार्था सेवा करती करती घब़राती गेली, ते ओचे गोढु आती कर किहुं लाग़ली, “हे प्रभु, का तनु कुई वी फिक्र कोनी कि माई ब़ेहणी ने मनु सेवा करने वास्ते हेकले ही छोड़ती ङिले? ऐवास्ते विनु केह कि माई मदत करो।”
विणे आपणे कुणम्बे समेत बपतिस्मा गेहला, ते विणे विनती करली, “अगर तम्ही मनु प्रभु ची विश्वासण समझा तां चालती कर माये घरा मां रिहा।” ते वा अम्हानु राजी करती कर गेहती गेली।