50 ओची दया वांचे उपर जको ओचा कद्दर करी, पीढ़ी दर पीढ़ी बणली रिही।
कांकि ओ नरीकारा ने माये वास्ते बङी-बङी कामे करली, ओचे नां पवित्र छै,
तब सिंहासन महु हेक शब्द निकड़ला कि, “हे अम्चे नरीकारा कनु सारे जणे ङरणे आले दास, का छोटे, का बङे, तम्ही सारे ओची स्तुति करा।”