48 कांकि ओणे आपणी दासी ची दशा उपर दया करली, ऐवास्ते ङेखा, हमा कनु सारे युग-युग चे लौक मनु धन्न किहे।
ते स्वर्ग़दूता ने विचे गोढु भीतर आती कर केहले, “खुशी ते जय दुधी हो, पर नरीकारा चा अनुग्रह दुधे उपर हुला नरीकार दुधे लारे छै।”
ते विणे बङा साङ मारती कर केहले, “तु सारी असतरीया महु धन्न छी ते दुधे ढिड्डा चा फल धन्न छै।
धन्न छै, वा असतरी जेह्णे विश्वास करला कि जको कोच्छ बाता प्रभु ने केहलीया, वे पुरीया हुवे।”
कांकि ओ नरीकारा ने माये वास्ते बङी-बङी कामे करली, ओचे नां पवित्र छै,
जिसे बेले ईशु ये बाता करे ही पलता तां भीड़ी महु कुई असतरी ने ऊंची अवाजी लारे केहले, “धन्न छै वा कोक्ख जिसे मां तु रेहला, ते वे थंणे जिसा नु तु चूखले।”