ऐचे उपर लौका ने केहले, “अम्ही व्यवस्था ची हा बात सुणली कि मसीह हमेशा रिही, बल्ति तु कां किही कि इन्साना चा पूत ऊंचे उपर चढ़ाला जाणा जरुरी छै? हा इन्साना चा पूत कूण छै?”
हे ब़ाले, मैं थोड़ी देर तम्चे गोढु छै। बल्ति तम्ही मनु सोधा, ते जिंवे मैं यहूदिया नु केहले कि, ‘जिठे मैं जाये पला, ओठे तम्ही ना आ सग़ा।’ यूंही मैं हमा तम्हानु वी किहे पला,
पर शरीरिक इन्सान नरीकारा ची आत्मा ची बाता स्वीकार ना करी, कांकि वे ओची नजरी मां बेवकूफी चा बाता छी, ते ना ओ वानु जाण सग़े कांकि वांची परख आत्मिक रीति लारे हुवे।