58 हा वा रोटी छै जको स्वर्ग़ा कनु उतरली। हा ओ मना कोनी जको तम्चे ङाङा-ब़ा ने खाला हुता ते बादा मां वे मरती गेलते। पर जको ये रोटी नु खाते रिही, ऊं सदा वास्ते जीते रिही।”
“मैं तम्हानु सच्च-सच्च किहे पला, जको माया वचन सुणती कर माये भेज़णे आले उपर विश्वास करे अनन्त जीवन ओचा छै ते ओचे उपर सजा ची आज्ञा नी हुवी पर ओ मौत कनु पार हुती कर हमेशा ची जीन्दगी मां घिरती चुकला।