पर जको कुई ओ पाणीया महु पिही जको मैं ओनु ङिही ओह बल्ति कङी तरसेला नी रिही। पर जको पाणी मैं ओनु ङिही ओचे महु हेक स्रोत बणती जई जको अनन्त जीवन तक उमड़ता रिही।”
ओ खाणे वास्ते मेहनत ना करा जको सड़ती जाये, बल्कि ओ खाणे वास्ते जत्तन करा जको सदा वास्ते बणला रिही ते अनन्त जीवन ङिही, ते जानु मैं इन्सान चा पूत ङिही। कांकि ब़ा नरीकारा ने आपणी छाप माये उपर लाली।”