मरला आला महु जीते हुवणे ची बात सुणती कर कोच्छ लौक तां ओचे उपर मजाक करु लाग़ती गेले, पर नेरे कईयां ने केहले कि, “यां बाता चे बारे मां अम्ही बल्ति कङी दुधे कनु होर ज्यादा सुणु।”
पर शरीरिक इन्सान नरीकारा ची आत्मा ची बाता स्वीकार ना करी, कांकि वे ओची नजरी मां बेवकूफी चा बाता छी, ते ना ओ वानु जाण सग़े कांकि वांची परख आत्मिक रीति लारे हुवे।