ते जेह्णे वी घर, जा भावां नु, जा ब़ेहणीया नु, जा ब़ा नु, जा आई नु, जा ब़ाला-ब़च्चा नु, जा खेता नु माये नांवा वास्ते छोड़ती ङिले, ओनु साओ गुणा मिली, ते ओ अनन्त जीवन चा अधिकारी हुवी।
पर जको कुई ओ पाणीया महु पिही जको मैं ओनु ङिही ओह बल्ति कङी तरसेला नी रिही। पर जको पाणी मैं ओनु ङिही ओचे महु हेक स्रोत बणती जई जको अनन्त जीवन तक उमड़ता रिही।”
“मैं तम्हानु सच्च-सच्च किहे पला, जको माया वचन सुणती कर माये भेज़णे आले उपर विश्वास करे अनन्त जीवन ओचा छै ते ओचे उपर सजा ची आज्ञा नी हुवी पर ओ मौत कनु पार हुती कर हमेशा ची जीन्दगी मां घिरती चुकला।
ते हे माये भऊ, मैं ना चाहवी कि तम्ही ऐचे कनु अणजाण रिहा कि मैं कई वारी तम्चे गोढु आणे चाह्ले कि, जिंवे मनु होर नेरीया जातिया कनु फल मिड़ला, यूहीं तम्चे महु वी मिलो, पर मैं हमा तक मजबूरी मां रुकला रेहला।