35 का तम्ही ना किहा वी, ‘कि रहड़ बढणे नु हालि चार मेहने पले ले?’ ङेखा, मैं तम्हानु किहे पला, आपणी आंखीया चती खेता मां नजर मारा, कि वा फसल पकती चुकली।
तां वे बन्दी शहरा महु निकलती कर ओचे गोढु जऊं लाग़ले।