“मैं तम्हानु सच्च-सच्च किहे पला, जको माया वचन सुणती कर माये भेज़णे आले उपर विश्वास करे अनन्त जीवन ओचा छै ते ओचे उपर सजा ची आज्ञा नी हुवी पर ओ मौत कनु पार हुती कर हमेशा ची जीन्दगी मां घिरती चुकला।
हा वा रोटी छै जको स्वर्ग़ा कनु उतरली। हा ओ मना कोनी जको तम्चे ङाङा-ब़ा ने खाला हुता ते बादा मां वे मरती गेलते। पर जको ये रोटी नु खाते रिही, ऊं सदा वास्ते जीते रिही।”
ऐवास्ते जितने लौक व्यवस्था चे कामा उपर भरोसा राखी वे श्राप चे गुलाम छी कांकि लिखले आले छै कि “जको कुई व्यवस्था चीया सारीया बाता पुरीया करने मां मजबूत ना रिही ऊं श्रापित छै। ”
तां सोचती गिहा कि ओ कितने भारी ङण्ड चा भाग़ी बणी, जेह्णे नरीकारा चे पूता चा अनादर करला ते वाचा चे लुहींया नु जाये जरिये ओ पवित्र ठहराला गेलता, अपवित्र जाणले ते अनुग्रह ची आत्मा चा अपमान करला।
तां अम्ही लौक इसड़े महान उद्धार ची बेपरवाही करती कर आणे आले ङण्ड कनु किवें बच सग़ु? जाई चर्चा सबकनु पेहले खौद्द प्रभु चे जरिये करली गेली, ते प्रभु नु सुणने आला चे जरिये अम्हानु विश्वास हुला।
पर कायर, ते अविश्वासी, ते घिनौने, ते हत्यारे, ते व्यभिचारी, ते जादू-टूणे करने आले, ते मूर्तिपूजक, ते सारे कूड़ मारणे आला चा हेंस्सा वे झीली मां मिली, जको जाखते ते गन्धक लारे ब़लती रिहे, हा ङुजी मौत छै।”