17 कांकि कुई वसीयत नांवा तभी ही प्रभावित हुवे, जब ओचे लिखणे आले ची मौत हुती जाये। तब तक विचा लिखणे आला जीता रिहे वा कङी प्रभावित ना रिही।
“मैं तम्हानु शान्ति ङिये पला, आपणी शान्ति तम्हानु ङिये पला। जिंवे संसार ङिये यूं मैं तम्हानु ना ङिही। तम्चे देल उदास ना हो, ते ना ङरो।
हे माये भऊ ते ब़ेहणी मैं तम्हानु हेक मिसाल ङिये कि जाये बारे मां तम्ही जाणा जिंवे कि अगर बन्दा ची वाचा वी पक्का हुती जाओ तां ओनु वी कुई ना टाल सग़ी ना ही घटा बधा सग़ी।
जिठे तक वसीयत नांवा चा सवाल छै, तां ओचे वास्ते जेह्णे ओनु लिखले, ओची मौत नु प्रमाणित करने जरुरी छै।
ऐवास्ते पेहली वाचा वी बिना लुहींया चे कोनी ब़ांहली गेली।