8 पर वाहो भोंये अगर झाड़ ते ऊंठकटारे उग़ावे तां वा कुई कामा ची कोनी ते श्रापित हुवणे उपर छै। जाखते मां ब़ालती नाखणे विचा अन्त छै।
“बल्ति खब़्ब़े पासे आला नु किही, ‘हे श्रापित लौक, माये सामणे कनु ओ अनन्त जाखते मां चाह्ले जावा, जको शैतान ते ओचे दूता वास्ते तियार करले गेले।
ते हमा कुहाड़ा पेड़ा ची ज़हड़े चे उपर मेहला आला छै। ऐवास्ते जको-जको पेड़ आच्छे फल ना आणी, ओनु बाढती ते जाखते मां झोंकती ङिले जई
जिसे-जिसे पेड़ आच्छा फल ना आणी, ऊं बाढती ते जाखते मां नाखले जई।
ऐचे उपर ओणे ओनु केहले, “हमा कनु कुई दुधा फल कङी नी खई!” ते ओचे चैले सुणी भिलते।
पतरस नु हा बात याद आली, ते ओणे ओनु केहले, “हे रब्बी, ङेख! ईं अंजीरा चे दरख्त जानु तु श्राप ङिला हुता, सूखती गेले।”
अगर कुई माये मां बणले ना रिही, तां वा लड़ी आलीकर भुकाती नाखली जाये ते सूखती जाये, ते लौक विनु चुणती कर, जाखते मां नाखती ङिये, ते वा ब़लती जाये।
हां, ङण्ड ची हेक भयानक उम्मीद ते जाखते ची ज्वाला बाकि छै जको सारे विरोधीया नु भसम करती नाखी।
तम्हानु पता ही छै कि ओचे बाद जब ओणे वा आशीष दुबारा गेहणी चाह्ली, ओनु नालायक समझले गेले। बल्ति ओणे हींजवे बाहती कर वे आशीष नु गेहणे चाह्ले, पर पश्चयाताप करने चा मौका नी मिड़ला।
ते जाये काये नां “जीवन ची किताबे” मां लिखले आले कोनी मिड़ले, ओ जाखते ची झील मां नाखला गेला।