8 अनुशासित तां सारे करले जई, पर अगर तम्ही अनुशासित कोनी करले गेले, तां तम्ही ओची आपणी ना, नाजायज ऊलाद्ध छिवा।
पर प्रभु ङण्ड ङिती कर अम्हानु सुधारे ऐवास्ते कि अम्ही संसारा लारे दोषी ना ठहराले जऊं।
कांकि प्रभु अनुशासित वानु करे, जाये लारे ओनु प्रेम छै, ते हर-हेक नु, जानु ओणे पूता चे रूपा मां स्वीकार करले, ङण्ड वी ङिये।”