ऐचे उपर लौका ने केहले, “अम्ही व्यवस्था ची हा बात सुणली कि मसीह हमेशा रिही, बल्ति तु कां किही कि इन्साना चा पूत ऊंचे उपर चढ़ाला जाणा जरुरी छै? हा इन्साना चा पूत कूण छै?”
अम्ही जाणु कि व्यवस्था जको कोच्छ किहे, वा वानु ही किहे जको व्यवस्था चे अधीन छी। ताकि हर-हेक चे मुँह बन्द करले जाओ, ते सारा संसार नरीकारा चे ङण्ड चे लायक ठहरो।
ऐवास्ते जितने लौक व्यवस्था चे कामा उपर भरोसा राखी वे श्राप चे गुलाम छी कांकि लिखले आले छै कि “जको कुई व्यवस्था चीया सारीया बाता पुरीया करने मां मजबूत ना रिही ऊं श्रापित छै। ”
पर हमा जको तम्ही नरीकारा नु पिछाणती गेले बल्कि नरीकारा ने तम्हानु पिछाणले, तां वा कमजोर ते संसारा ची बेकार जिसड़ी शिक्षा चीया बाता ची ओर कां मुड़ा? का वांचे तम्ही दोबारा गुलाम हुवणे चाहवा?