यांचे मां अम्ही वी सब चे सब पेहले आपणे शरीरा ची लालसा मां ङिहें गुजारते, ते शरीर ते मना ची इच्छा पुरी करते, ते नेरे लौका आलीकर सुभाव ही कनु क्रोध ची ऊलाद्ध हुते।
ऐवास्ते मैं किहे पला ते प्रभु नु ग़वाह बणाती कर तम्हानु चिताती कर किहे पला कि जिंवे नेरीया जातिया चे लौक आपणे मना ची बेकार रीति उपर चली यूंही तम्ही ना चला।
कांकि अम्ही वी पेहले, बेअक्कल, ते आज्ञा ना मनणे आले, ते वहमा मां ढेले आले, ते हर हेक रंगा ची इच्छा ते सोख भोग़णे चे गुलाम हुते, ते बैरबन्दी, ते खार खाणे मां जीन्दगी गुजारते, ते किज़ड़े हुते, ते हेके ङुजे लारे बैर राखते।
ये वजह कनु जबकि ग़वाहा ची इसड़ी बङी भीड़ अम्हानु घेरले आले छै, तां आवा, हर हेक रोकणे आली चीज ते उलझाणे आले पापा नु दूर करती कर, वा द्रोड़ जिसे मां अम्हानु द्रोड़ने छै, धीरज लारे उग़ते बधते जऊं,
पर जब तक ओ ङिओ, जानु “आज़” केहला जाये, अम्चे सामणे छै, हर हेक ङिओ हेके ङुजे ची हिम्मत ब़न्धाते रिहा, इसड़े ना हो कि तम्चे महु कुई वी पाप चे छल मां कठोर बणती जाओ।
ऐवास्ते, सारी मलिनता ते बैरभाव ची बढ़ोतरी नु दूर करती कर, ओ वचना नु नरमाई लारे ग्रहण करती गिहा, जको दिला मां राहला गेला ते जको तम्ची जानी चा उद्धार कर सग़े।
कांकि पेहले तम्ही नेरीया जातिया आलीकर जीवन बीताते, जिंवे बुरी इच्छा चे अनुसार काम करने, ते लोचपण, ते मतवालापन, व्यभिचार, ते पियक्कड़पन, ते किज़ड़ी मूर्तिपूजा मां जिठे पेहले समय गुजारला ओही ब़ोहत छै।
ङुजा चे बुरे करने चे बदले वांचे ही बुरे हुवी। वानु ङिओ ङुपाहर भोग़ विलास करने भले लाग़े। ईं कलंक ते दोष छै जिसे बेले वे तम्चे लारे खई-पी तां आपणे तरफु प्रेम भोज़ करती भोग़ विलास करी।