7 जको इन्साने ओचे लारे हुती, वे चोप-चाप हुले रेहले, कांकि ओची अवाज तां सुणी पलते, पर कानु ङेखी कोनी पलते।
बल्ति जको लौक ओठे भिलते ये अवाज नु सुणती कर कई किहुं लाग़ले, “बदल गरजला।” ङुजे किहुं लाग़ले, “कुई स्वर्ग़दूत ने ओचे लारे बात करली।”
ते माये साथीया ने सोज़ले तां ङेखले, पर जको मनु किहे पलता, ओची अवाज कोनी सुणली।