जिसे बेले पतरस आपणे मना मां दुविधा मां हुता, कि हा दर्शन जको मैं ङेखला ओ का हो सग़े, तां ङेखा, ऊं इन्सान जानु कुरनेलियुस ने भेज़ले हुते, शमौन चे घरा चा पता करती कर दरवाजे उपर आती भिले रेहले।
ऐवास्ते वे पौलुस नु अरियुपगुस पंचेत घरा मां गेहती गेले ते ओकनु पूछु लाग़ले, “का अम्ही जाण सग़ु, दुधे जरिये ङिली गेली हा नवीं शिक्षा का छै? का तु अम्हानु समझावे?
तब ओनु केहले कांकि एथेंस शहरा चे निवासी ते प्रदेसी जको ओठे रेहते, वानु नेरे कुई काम कोनी हुते सेर्फ नवींया-नवींया बाता सुणनीया ते कहाणीया मां ही आपणा समय गुजारते।
पर शरीरिक इन्सान नरीकारा ची आत्मा ची बाता स्वीकार ना करी, कांकि वे ओची नजरी मां बेवकूफी चा बाता छी, ते ना ओ वानु जाण सग़े कांकि वांची परख आत्मिक रीति लारे हुवे।