17 ऐवास्ते हे प्यारे, तम्ही लौक पेहले ही कनु यां बाता नु जाणती कर चौकस रिहा, कि अधर्मीया चे भ्रम मां फसती कर आपणी मजबूती नु हाथा लारे किठी गुंती ना ब़ेसा।
“पर ये बाता मैं ऐवास्ते तम्हानु केहलीया, कि जिसे बेले वांचा समय आवी तां तम्हानु याद आवी कि मैं तम्हानु पेहले ही केहती ङिले। मैं शुरु कनु तम्हानु ये बाता ऐवास्ते कोनी केहलीया कांकि मैं तम्चे लारे हुता,
अम्ही इसड़ी ब़ाले बणली ना रिहुं कि हवाई लारे उछलती ना जऊं बन्दी जको ठग़्ग़ विधिया नु बधावी, भ्रम चे लारे भरले आले व्यवहार कनु, ते इसड़े ढोंगीपणे कनु इंगे-ऊंगे भटकाती ङी
कांकि मैं अगर शरीर चे भाव लारे तम्हा कनु दूर छै, तां वी आत्मिक रीति लारे तम्चे लारे छै, ते तम्चे विधि चे अनुसार आचरण ते तम्चा विश्वास जको मसीह मां छै मजबूत ङेखती कर खौश हुवे।
चौकस रिहा कि कुई तम्हानु ओह भौतिक ज्ञान ते बेकार धोक्के लारे शिकार ना करती गिहो, जको बन्दा ची परम्परा ची मत्त ते संसारा ची बुरी आत्मा ची शिक्षा चे अनुसार छै, पर मसीह चे अनुसार कोनी।
ऐवास्ते चैता कर कि तु किठु ढेला आला छी, ते मन फिरा ते पेहले जिसड़े काम कर। अगर तु मन नी फिरावे, तां मैं दुधे गोढु आती कर दुधे जाला नु ओची जग़हा कनु हटाती नाखी।