8 कांकि अगर मैं आपणी चिठ्ठी लारे तम्हानु ङुखी करले, पर ओचे कनु ना पछतावी जिंवे कि पेहले पछताता। कांकि मैं ङेखे, कि वे चिठ्ठी लारे तम्हानु ङोख तां हुले पर ऊं थोड़ी देरी वास्ते हुते।
तां ङेखा, ईं ङोख जको नरीकारा ने ङिले, ओणे तम्चे मां कितनी इच्छा जग़ाती ङिली, ते प्रत्युतर, रीस, ङर, इच्छा, धोन्न ते बदला गेहणे चा विचार पैदा करती ङिला। तम्ही सारीया बाता मां हा साबित करती ङिले, कि तम्ही ये बाते मां बेकसूर छिवा।
बल्ति मैं जको तम्चे वास्ते चिठ्ठी लिखली हुती, वा ना ऐवास्ते लिखली, जेह्णे अन्याय करला, ते ना ओची वजह कनु जाये उपर अन्याय करला गेला, पर ऐवास्ते कि तम्ची चिन्ता जको अम्चे वास्ते छै, वा नरीकारा चे सामणे तम्चे उपर उजागर हुती जाओ।
ते ना सेर्फ ओचे आणे लारे पर ओची वे तसल्ली लारे वी, जको ओनु तम्चे तरफु मिड़ली हुती। ते ओणे तम्ची इच्छा, ते तम्चे ङोख ते माये वास्ते तम्ची धोन्न चा समाचार अम्हानु सुणाला, जाये कनु मनु होर वी खुशी मिड़ली।
हमा मैं खौश छै पर ऐवास्ते कोनी कि तम्हानु ङोख हुले, बल्कि ऐवास्ते कि तम्ही ओ ङुखा चे वजह मन फिराले। कांकि तम्चे ङोख नरीकारा ची इच्छा चे अनुसार हुते, कि अम्चे तरफु तम्हानु कुई बाते मां नुकसान ना पुज़ो।