4 ते अम्ही ऐ शरीरा मां रेहते हुले, बोझ मां दब़िती कर कराहते रिहुं, कांकि अम्ही उतारने ना, बल्कि नेरे धारण करने चाहु, कि मरणहार, जीवन बदलती जाओ।
ते सेर्फ सृष्टि कोनी, पर अम्चे उपर वी जाये कनु पवित्र आत्मा चा पेहला फल छै, आप ही आपणे भीतर चिखी, ते लेपालक हुवणे ची, यानिकि आपणे देह चे छुटकारे चा इंतजार करु पले।
ङेखा, मैं तम्हानु भेद ची बात किहे पला, कि अम्ही सारे तां नी मरु, पर अम्चा सारा चा रुप बदलती जई।
ऐ संसारिक शरीर मां तां अम्ही कराहते रिहुं, ते बङी इच्छा राखु कि आपणे स्वर्ग़ीय शरीर नु धारण करती गिहुं।
कांकि ओनु धारण करने चे बाद अम्ही उघाड़े नी रेहती जऊं।
मैं ईं आपणे वास्ते ठीक समझे, कि जब-तक मैं ऐ शरीरा चे डेरे मां छै, तब तक तम्हानु चैता ङिवाती कर उभारता रिही।