2 ऐ संसारिक शरीर मां तां अम्ही कराहते रिहुं, ते बङी इच्छा राखु कि आपणे स्वर्ग़ीय शरीर नु धारण करती गिहुं।
मैं किसड़े अभाग़े इन्सान छै! मनु ये मौत ची देह कनु कूण छुड़ावी?
ते सेर्फ सृष्टि कोनी, पर अम्चे उपर वी जाये कनु पवित्र आत्मा चा पेहला फल छै, आप ही आपणे भीतर चिखी, ते लेपालक हुवणे ची, यानिकि आपणे देह चे छुटकारे चा इंतजार करु पले।
ङेखा, मैं तम्हानु भेद ची बात किहे पला, कि अम्ही सारे तां नी मरु, पर अम्चा सारा चा रुप बदलती जई।
कांकि मैं ङुंहु चे आधे मां अधर लटकला पला, जी तां चाहवे कि आपणे जीवना कनु विदा हुती कर मसीह चे गोढु चाह्ला जाये। कांकि ईं माये वास्ते घणे आच्छे छै।