5 ते अगर किह्णी मनु उदास करले छै, तां वी मैं ओचे लारे घणी सख्ताई ना करी कांकि ओणे मनु ही कोनी बल्कि कोच्छ-कोच्छ तम्हानु सब नु वी उदास करले।
ओ प्रदेसा महु हेक कनानी असतरी निकड़ली, ते रौल मचाती कर किहुं लाग़ली, “हे प्रभु! दाऊद ची ऊलाद्ध, माये उपर दया कर! माई छुवेरी नु दुष्टात्मा ब़ोहत सतावे पली।”
हे भऊ मैं तम्हा कनु विनती करे कि तम्ही वी माये जिसड़े हुती जावा कांकि मैं वी तम्चे जिसड़ा हुती गेला, तम्ही माये कहीं कोनी बिगाड़ले।
मैं प्रभु उपर तम्चे बारे मां भरोसा राखे, तम्चे मां कुई नेरा विचार नी हुवी, पर जको तम्हानु घब़राती ङिये, ऊं कुई कां ना हो नरीकार ओनु सही सजा ङिही।