हमा, मैं तीजा वारी तम्चे गोढु आणे वास्ते तियार छै, ते मैं तम्चे उपर कुई वी वजन नी नाखी, कांकि मैं तम्ची धन-दौलत कोनी, पर तम्हानु नु चाहवे। ब़ाला नु आई-ब़ा चे वास्ते धन भेला नी करना चाही छै, पर आई-ब़ा नु आपणी ऊलाद्धी वास्ते धन भेला करना चाही छै।
ऐह वजह कनु दूर हुते हुले वी मैं तम्हानु ईं सब लिखे पला, कि ओठे मौजुद हुवणे उपर मनु प्रभु चे जरिये ङिला गेला अधिकार चा प्रयोग कठोर भाव लारे ना करना पड़ो। ऐ अधिकार चा मकसद बढोतरी करनी छै, ना कि नाश करने कोनी।