21 मनु खौद्द शर्मसार हुती कर केहणे पड़ले मनती गिहा कि अम्ही ब़ोहत कमजोर जा हुते। पर जिसी बाते मां कुई हिम्मत ङिखाणे, मैं वी मूर्खता लारे किहे पला कि मैं वी हिम्मत ङिखाणे।
कांकि कोच्छ लौक तां किही कि, “ओचीया चिठ्ठीया तां कठिन ते असरदार छी, ते जिसे बेले ओ आप आवे तां ओचे शरीर कमजोर लाग़े ते ओची ब़ोलणे ची ताकत ना चे बराबर छै।”
ऐह वजह कनु दूर हुते हुले वी मैं तम्हानु ईं सब लिखे पला, कि ओठे मौजुद हुवणे उपर मनु प्रभु चे जरिये ङिला गेला अधिकार चा प्रयोग कठोर भाव लारे ना करना पड़ो। ऐ अधिकार चा मकसद बढोतरी करनी छै, ना कि नाश करने कोनी।