16 मैं बल्ति किहे, कुई मनु मूर्ख ना समझो। पर अगर समझा तां बल्ति मूर्ख ही समझती कर माई सहन करती गिहा, ताकि थोड़ा जा मैं वी घमण्ड कर सग़े।
मैं चाहवे कि तम्ही माई थोड़ी जा मूर्खता सहन करती गिहा, जिंवे वास्तव मां तम्ही ऐ समय मां सहन वी करा पले।
बल्ति तम्ही तां समझदार छिवा कि खुशी लारे मूर्खा ची सहन करती गिहा।
जबकि माये वास्ते घमण्ड करने ठीक कोनी, बल्ति वी करना पड़े। पर मैं प्रभु चे ङिले हुले दर्शन ते प्रकाशना ची चर्चा करी।
मैं मूर्ख तां बणला, पर तम्ही मनु मजबूर करले, तम्हानु नु तां माई बढ़ाई करनी चाही छै, कांकि अगर मैं कोच्छ वी कोनी, तां वी वां प्रेरितां कनु कुई वी बाते मां कम कोनी जानु तम्ही बङे किहा।
अगर मैं घमण्ड करने चाहवे वी तां मूर्ख नी बणी, कांकि सच्च ब़ोली, तां वी रुकती जाये, इसड़े ना हो कि, जिसड़े कुई मनु ङेखे, जा ते बल्ति माये कनु सुणे, मनु ओचे कनु बढ़ती कर समझे।
अगर अम्ही बेसोध चे आलीकर ङिसु तां नरीकारा वास्ते, ते अगर सुधि मां छिऊं तां तम्चे वास्ते छिऊं।