15 ते ऐ भरोसे लारे मैं चाहवें ला, कि पेहले तम्चे गोढु आवे, कि तम्हानु हेक नेरा आशीर्वाद मिलो।
तां विचे घरा आले यूसुफ ने जको धर्मी हुता ते विनु बदनाम करने ना चाहवे ला, विनु चोप-चाप करती कर छोड़ने ची सोचली।
मैं तम्चे लारे मिलणे ची इच्छा राखे, कि मैं तम्हानु कुई आत्मिक वरदान ङिये, जाये कनु तम्ही मजबूत हुती जावा,
ते मैं जाणे, कि जिसे बेले मैं तम्चे गोढु आवी, तां मसीह ची पुरी आशीष चे लारे आवी।
अगर कुई भुक्के हो तां आपणे घरे खाती गिहो कि तम्चे भेले हुवणे ङण्ड ची वजह ना बणो। ते बाकि बाता नु मैं आती कर ठीक करती ङी।
मैं ना चाहवी कि तम्हानु सेर्फ चलते-चलते मिले, पर माई आस छै कि अगर प्रभु ने चाह्ले तां कोच्छ समय तक मैं तम्चे लारे रिही।
अगर प्रभु ने चाह्ले तां मैं जल्दी ही तम्चे गोढु आवा, ते वां फुंडले आला चीया बाता नु ही ना पर वांची ताकत नु वी जाणती गिही।
हमा, मैं तीजा वारी तम्चे गोढु आणे वास्ते तियार छै, ते मैं तम्चे उपर कुई वी वजन नी नाखी, कांकि मैं तम्ची धन-दौलत कोनी, पर तम्हानु नु चाहवे। ब़ाला नु आई-ब़ा चे वास्ते धन भेला नी करना चाही छै, पर आई-ब़ा नु आपणी ऊलाद्धी वास्ते धन भेला करना चाही छै।
ते अम्ही जको नरीकारा चे भईवाल छिऊं, ईं वी समझाऊं, कि नरीकारा चा अनुग्रह जको तम्चे पर हुला, ओनु बेकार ना जऊं ङिया।