जब तु आपणी ही आंखी चा खम्बा ना ङेखी, तां आपणे भावां नु किवें केह सग़ी, ‘हे भऊ, रुकती जा मैं दुधी आंखी महु कख काढ़ती ङिये’? हे कप्पटी, पेहले आपणी आंखी महु खम्बा काढ़, तब जको कख दुधे भावां ची आंखी मां छै, ओनु आच्छी तरह ङेखती कर काढ़ सग़े।
कांकि मनु ङर छै कि, कङी इसड़े ना हो कि, मैं आती कर जिसड़े चाहवे, उसड़े तम्ही ना लाभा, ते मनु वी जिसड़े तम्ही ना चाहवा उसड़े ही ङेखा कि, तम्चे मां झग़ड़ा, डाह, गुस्सा, विरोध, ईर्ष्या, चुग़ली, अंहकार ते व्यवस्था ठीक ना हो।
ये वजह कनु जबकि ग़वाहा ची इसड़ी बङी भीड़ अम्हानु घेरले आले छै, तां आवा, हर हेक रोकणे आली चीज ते उलझाणे आले पापा नु दूर करती कर, वा द्रोड़ जिसे मां अम्हानु द्रोड़ने छै, धीरज लारे उग़ते बधते जऊं,
ऐवास्ते, सारी मलिनता ते बैरभाव ची बढ़ोतरी नु दूर करती कर, ओ वचना नु नरमाई लारे ग्रहण करती गिहा, जको दिला मां राहला गेला ते जको तम्ची जानी चा उद्धार कर सग़े।
हे माये भऊ, हेके ङुजे ची बदनामी ना करा। जको आपणे भावां ची बदनामी करे, जा ते बल्ति आपणे भावां उपर दोष लावे, ऊं व्यवस्था ची बदनामी करे। ते ऊं व्यवस्था उपर दोष लावे, ते तम्ही व्यवस्था उपर टुरणे आले कोनी, पर न्यां करने आले बणती जावा।
का तम्ही हा समझा कि पवित्रशास्त्र बेकार चा बाता बावड़े। जिसे नरीकारा ने पवित्र आत्मा नु अम्चे भीतर नाखले, नरीकार घणी इच्छा राखे, कि अम्ही विश्वास चे लायक बणले रिहुं?