11 अम्ही तम्चे मां आत्मिक बीज राहले तां अगर तम्ची शरीरिक चीजा महु कोच्छ भईवाल हुती जऊं तां हा कुई बङी बात कोनी छै।
मार्ग़ा चे वास्ते ना झोली राखजा, ते ना ङोन चोले, ना जुत्तीया ते ना ङांग चवा, कांकि मजदूरा नु ओचे खाणे मिलणे चाही छै।
आच्छे तां लाग़ले, पर वे वांचे कर्जदार वी छी, कांकि अगर नेरीया जातिया वांचीया आत्मिक बाता मां शामिल हुले तां वांचे वास्ते वाजिब छै कि, संसारिक चीजा लारे वांची सेवा करा।
यूं करती प्रभु ची आज्ञा छै कि जको लौक सुसमाचार सुणावी, ओचे जरिये आपणी रोटी खाओ।
ऐवास्ते अगर ओचे सेवक वी धार्मिकता चे सेवका आलीकर रुप धारण करी, ते कुई बङी बात कोनी। पर वांचा अन्त वांचे कामा चे अनुसार हुवी।
जानु नरीकारा चा वचन सुणाला गेला ओनु चाही छै कि, जको उत्तम चीज ओकनु छै, ओचे मां आपणे वचन सुणावणे आले साथी नु आपणा हेंस्सेदार बणाती गिहो।
हा बात कोनी कि मैं दान चाहवे, बल्कि तम्चे मां इसड़ी आशीष ङेखणा चाहवे जको दान ङेणे लारे आवे।