31 जाया लेन-देन संसारिक चीजा लारे छै, वे वांचे मां मगन ना हुती जाओ कांकि ऐ संसारा ची रीत ते बर्ताव बदलते जई।
“ऐवास्ते चौकस रेहजा, कङी इसड़े ना हो कि तम्चे मन हठीले, ते नशेबाज, ते ऐ जीवना ची चिन्ता लारे सुस्त हुती जाये, ते वे ङिहें तम्चे उपर फन्दे चे समान अचानक आती पड़ो।
हे माये भऊ, मैं ईं किहे पला कि समय कम छै। ऐवास्ते हमा कनु वे जको परनीले आले छी इसड़े रिहो मनती गिहो अणपरनीले छी।
ते रोवणे आले इसड़े हो मनती गिहा रोवी ना, ते खौश रेहणे आले मनती गिहा खौश ना रिही, ते मोल गेहणे इसड़े हो कि मनती गिहो वांचे कनु कोच्छ छै कोनी।
तब का छै माया फल? हा छै कि सुसमाचार चा प्रचार मुफ्त मां करता रिहे इठे तक कि सुसमाचार मां जको माया अधिकार छै ओनु मैं आच्छी तरह कामा ना गिहे।
ये शब्द “हेक वारी बल्ति” वां चीजा नु हटाले जाणे ची ओर इशारा छै, जको टलती जई यानि सृजलीया आलीया चीजा छी, कि जको चीजा हलालीया ना जई वे अटल बणलीया रिहो।
पर तम्ही तां इतने वी ना जाणा काल तम्चे लारे जीन्दगी मां का कोच्छ हुवी? ङेखा तम्ही, तां ओ धूंऐ आलीकर छिवा जको थोड़ी देरी चे वास्ते उङरे ते बल्ति गोम हुती जाये।
कांकि शास्त्र मां लिखले पले, “हर हेक बन्दे खड़ा चे आलीकर छै, ते ओची सारी शोभा खड़ा चे फूलां चे आलीकर छै, खड़ सूखती जाये, ते फूल झड़ती जाये।
सारीया बाता चा अन्त तुरन्त हुवणे आला छै। ऐवास्ते काबु हुती कर प्राथना वास्ते चौकस रिहा।
संसार ते ओचीया बुरीया इच्छा ङोनी मिटते जई पले, पर जको कुई नरीकारा ची इच्छा उपर टुरे ऊं सदा बणले रिही।