29 हे माये भऊ, मैं ईं किहे पला कि समय कम छै। ऐवास्ते हमा कनु वे जको परनीले आले छी इसड़े रिहो मनती गिहो अणपरनीले छी।
हेक नेरे ने केहले, ‘मैं बीहा करवाला, ऐवास्ते मैं ना आ सग़ी।’
पर अगर तु बीहा वी करे तां पाप कोनी ते अगर कुई कुंवारी कन्या बीहा करवावे तां कुई पाप कोनी। पर इसड़ा नु शरीरिक ङोख हुवी ते मैं तम्हानु ऐचे कनु बचावणे चाहवे।
ते रोवणे आले इसड़े हो मनती गिहा रोवी ना, ते खौश रेहणे आले मनती गिहा खौश ना रिही, ते मोल गेहणे इसड़े हो कि मनती गिहो वांचे कनु कोच्छ छै कोनी।
जाया लेन-देन संसारिक चीजा लारे छै, वे वांचे मां मगन ना हुती जाओ कांकि ऐ संसारा ची रीत ते बर्ताव बदलते जई।
कांकि शास्त्र मां लिखले पले, “हर हेक बन्दे खड़ा चे आलीकर छै, ते ओची सारी शोभा खड़ा चे फूलां चे आलीकर छै, खड़ सूखती जाये, ते फूल झड़ती जाये।
सारीया बाता चा अन्त तुरन्त हुवणे आला छै। ऐवास्ते काबु हुती कर प्राथना वास्ते चौकस रिहा।
संसार ते ओचीया बुरीया इच्छा ङोनी मिटते जई पले, पर जको कुई नरीकारा ची इच्छा उपर टुरे ऊं सदा बणले रिही।