जक्कई ने प्रभु नु भिले रेहती कर केहले, “हे प्रभु, ङेख, मैं आपणी आधी जायजात कंगाला नु ङिये पला, ते अगर काये कोच्छ वी अन्याय करती कर गेहले तां ओनु मैं चार गुणा पुठा फेरती ङिही।”
तम्ही बुराई चे बदले मां बुराई ना करा। ते ना गालीया चे बदले गालीया काढ़ा, पर ऐचे बदले आशीष ही ङिया। कांकि तम्ही आशीष चे वारिस हुवणे चे वास्ते हकारले गेले।