तीतुस नु तम्चे गोढु भेज़णे ची मैं बिनती करली हुती, ओचे लारे आपणे ऐ भावां नु वी मैं ही भेज़ले हुते। का तीतुस ने तम्चा गलत फायदा चला? का अम्ही हेकी आत्मा चे चलाले कोनी चढ़ले? का अम्ही हेकी ही लेणी उपर कोनी टुरले?
ऐह वजह कनु दूर हुते हुले वी मैं तम्हानु ईं सब लिखे पला, कि ओठे मौजुद हुवणे उपर मनु प्रभु चे जरिये ङिला गेला अधिकार चा प्रयोग कठोर भाव लारे ना करना पड़ो। ऐ अधिकार चा मकसद बढोतरी करनी छै, ना कि नाश करने कोनी।
ते मैं हा बात तम्हानु ऐवास्ते लिखली हुती, कि कङी इसड़े ना हो, कि माये आवणे उपर, जाये कनु खुशी मिलणी चाही छै, मैं वांचे कनु उदास हुवे। कांकि मनु तम्चे सारा उपर ये बाते चा भरोसा छै कि, जको माई खुशी छै, वा तम्चे सारा ची वी हो।
पर जको ज्ञान उपरु आवे पेहले तां ओ पवित्र रिहे बल्ति मेल-मिलाप, मुलायम ते मन-भावना ते दया, ते आच्छे फला लारे लङला आला ते बिना पक्षपात ते बिना कप्पट लारे हुवे।