46 पेहले आत्मिक जीवन ना मिली, पर शरीरिक जीवन मिले, ऐचे बाद आत्मिक जीवन मिले।
कांकि अम्ही जाणु कि अम्चा पुराणा सुभाव ईशु चे लारे क्रूसा उपर चढ़ाला गेला, ताकि पाप चे शरीर नाश हुती जाओ, कि आग़ु कनु अम्ही पाप चे गुलाम ना बणु।
जिंवे कि पवित्रशास्त्रा मां लिखले आले छै, “पेहले इन्सान यानि आदम, जीते-जी बणले” ते आखरी आदम, जीवनदायी आत्मा हुला।
पेहले इन्सान शरीरिक हुते यानि माटी चे बणले आले हुते, ङुजे इन्सान स्वर्ग़ीय छै।
पर शरीरिक इन्सान नरीकारा ची आत्मा ची बाता स्वीकार ना करी, कांकि वे ओची नजरी मां बेवकूफी चा बाता छी, ते ना ओ वानु जाण सग़े कांकि वांची परख आत्मिक रीति लारे हुवे।